तुम्हारी जो ख़बर हमें है
वो किसी और के पास कहाँ
देख लेता हूँ कहकहों में भी
आंसू के कतरे
ऐसी नजर किसी और के पास कहाँ
ज़माने ने ठोकरें दी पत्थर समझकर
तुने मुझे सहेज लिया मूरत समझकर
होगी अब हमारी गुजर
किसी और के पास कहाँ
उम्र भर देख लिया
बियाबान में भटक कर
हासिल हुआ कुछ नहीं
दुनिया में अटककर
तूने की जैसी कदर
किसी और के पास कहाँ
रास्ता दिखा दिया तुने
मेरे भटकाव को
साहिल पे ला दिया
थपेडों से नाव को
मुझ पर जितना तेरा असर
किसी और के पास कहाँ
दुष्यंत .......
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
6 comments:
bas itna hi..jitna dum shabdo me tere pas he..kisi aur ke pas kanha...keep it up
sahi guruji kisi aur k pass ye nazar ye nazaryaa kahan .....
wah guruji wah....
ji kya baat hai...chalo khabr hai kisi ko kisi ki...ye ikraar hai yahan ...
Sochaingey tumhare siva ye or baat kahan...
Kavya ka jawab kavita hi de sakti hai...hahaha
yes....
very true comment from ur friends....
very nice....
dushyant bhai
रास्ता दिखा दिया तुने
मेरे भटकाव को
साहिल पे ला दिया
थपेडों से नाव को
मुझ पर जितना तेरा असर
किसी और के पास कहाँ
bahut badhiya.
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