जब जब दिल में टीस उठी
औ' मन हुआ बीमार
मैंने ख़ुद पर वार लिए
चंद मुट्ठी अशआर
दुष्यंत.....
तुम्हारे लिए
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मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
5 years ago
1 comment:
बेहतरीन, जो मेरा पेशा है वो आपका पेशा है। हम सब लफ़्ज़ों के सौदागर हैं और...
जिन लफ़्ज़ों में ज़िंदगी के मायने छिपे हैं
उन लफ़्ज़ों की तलाश में रहता हूं
लफ़्ज़ों का सौदागर हूं
लफ़्ज़ों के बहाने मुस्कुराहटें बटोरता हूं....
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