
अगर तलाश करो तो कोई मिल ही जाएगा
मगर हमारी तरह कौन तुझे चाहेगा
तुझे जरुर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो ऑंखें हमारी कहाँ से लाएगा
न जाने कब तेरे दिल पर नई दस्तक हो
मकान खाली हुआ है कोई तो आएगा
मैं अपनी राह में दीवार बन कर बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रस्ते से आएगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा
सधन्यवाद, डॉ. बशीर बद्र
दुष्यंत..........
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