Wednesday, April 23, 2008


अगर तलाश करो तो कोई मिल ही जाएगा
मगर हमारी तरह कौन तुझे चाहेगा

तुझे जरुर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो ऑंखें हमारी कहाँ से लाएगा

न जाने कब तेरे दिल पर नई दस्तक हो
मकान खाली हुआ है कोई तो आएगा

मैं अपनी राह में दीवार बन कर बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रस्ते से आएगा

तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा

सधन्यवाद, डॉ. बशीर बद्र
दुष्यंत..........

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