Tuesday, July 29, 2008

सावन के आने पर ......

मेघों का अम्बर में लगा अम्बार
थकते नहीं नैना दृश्य निहार
हर मन कहे ये बारम्बार
आहा! सावन..कोटि कोटि आभार

धरा ने ओढी हरित चादर निराली
लहलहाए खेत बरसी खुशहाली
तन मन भिगोये रिमझिम फुहार
आहा! सावन.. कोटि कोटि आभार


भीगे गाँव ओ' नगर सारे
थिरकीं नदियाँ छोड़ कूल किनारे
अठखेलियाँ करे पनीली बयार
आहा! सावन.. कोटि कोटि आभार
दुष्यंत....

Saturday, July 19, 2008

यूँ ही .....

यूँ ही चुप रहोगे
न हाल-ऐ-दिल कहोगे
तो इस बाज़ार में
तुम्हे कौन चुनेगा
ये आवाजों की नुमाइश है
जान लो ज़रा
खामोशियों की सदायें
यहाँ कौन सुनेगा
दुष्यंत..........

चंद मुट्ठी अशआर

जब जब दिल में टीस उठी
औ' मन हुआ बीमार
मैंने ख़ुद पर वार लिए
चंद मुट्ठी अशआर
दुष्यंत.....