जब जब दिल में टीस उठी
औ' मन हुआ बीमार
मैंने ख़ुद पर वार लिए
चंद मुट्ठी अशआर
दुष्यंत.....
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
1 comment:
बेहतरीन, जो मेरा पेशा है वो आपका पेशा है। हम सब लफ़्ज़ों के सौदागर हैं और...
जिन लफ़्ज़ों में ज़िंदगी के मायने छिपे हैं
उन लफ़्ज़ों की तलाश में रहता हूं
लफ़्ज़ों का सौदागर हूं
लफ़्ज़ों के बहाने मुस्कुराहटें बटोरता हूं....
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