यूँ ही चुप रहोगे
न हाल-ऐ-दिल कहोगे
तो इस बाज़ार में
तुम्हे कौन चुनेगा
ये आवाजों की नुमाइश है
जान लो ज़रा
खामोशियों की सदायें
यहाँ कौन सुनेगा
दुष्यंत..........
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 years ago
2 comments:
bahut khoob......par is word verification ko hata le....
Agar khamoshiyan hain sadayain....to saath hongi....jo chup rahogey to baat hogi...mujhe nahin pata ye safar aawaj ka hai...par dhundneywala hoga to yunhi baat hogi........
howz.....
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